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सामाजिक विज्ञान का परिचय
सामाजिक विज्ञान मानव, समाज, इतिहास, शासन, अर्थव्यवस्था और पर्यावरण का अध्ययन है। यह नागरिकों को समाज के निर्माण, परिवर्तन, समस्याओं और जिम्मेदार भूमिकाओं को समझने में सहायता करता है। यह विषय तर्क, जिम्मेदारी, समानता और लोकतांत्रिक भावना विकसित करता है।
बिंदु
- समाज और मनुष्य के जीवन का अध्ययन
- अतीत, वर्तमान और भविष्य की समझ
- अधिकार, कर्तव्य और शासन की जानकारी
- सामाजिक समस्याओं के समाधान में सहायक
प्राचीन विश्व
प्राचीन विश्व मानव सभ्यता की शुरुआत और नदी घाटी सभ्यताओं के विकास से जुड़ा है। इस काल में लेखन, कृषि, नगर निर्माण, व्यापार और सामाजिक व्यवस्था की शुरुआत हुई। मिस्र, सिंधु, मेसोपोटामिया, चीन मानव सभ्यता के मुख्य केंद्र बने।
बिंदु
- नदी घाटी सभ्यताएँ: मिस्र, सिंधु, मेसोपोटामिया
- कृषि, नगर, व्यापार और लेखन का विकास
- सामाजिक वर्ग, धर्म, कला का जन्म
- प्रारंभिक राज्य और शासकीय व्यवस्था
मध्यकालीन विश्व
मध्यकाल में सामंतवाद, धार्मिक प्रभाव, व्यापार और साम्राज्यों का विस्तार हुआ। इस काल में संस्कृति, धर्म, कला, व्यापार और शिक्षा में बदलाव देखने को मिले। भारत और विश्व में विभिन्न साम्राज्यों के उदय और सामाजिक संरचनाओं में परिवर्तन हुए।
बिंदु
- सामंती व्यवस्था और राजतंत्र
- धर्म का प्रभाव बढ़ा
- व्यापार मार्गों का विस्तार
- संस्कृति और कला का विकास
आधुनिक विश्व – विज्ञान और परिवर्तन
आधुनिक युग की शुरुआत यूरोप में पुनर्जागरण, वैज्ञानिक क्रांति और औद्योगिक परिवर्तन से हुई। इस समय तर्क, विज्ञान, स्वतंत्रता और मानववाद का विकास हुआ। विज्ञान और मशीनों ने समाज, अर्थव्यवस्था और राजनीति को बदल दिया।
बिंदु
- पुनर्जागरण और मानववाद
- वैज्ञानिक खोजें और तर्कवादी सोच
- औद्योगिक क्रांति और मशीनों का उपयोग
- आधुनिक राष्ट्र और लोकतंत्र का विकास
औद्योगिक क्रांति
औद्योगिक क्रांति मशीनों के उपयोग से बड़े पैमाने पर उत्पादन की शुरुआत का दौर है। सबसे पहले यह इंग्लैंड में हुई। इसने उत्पादन, व्यापार, परिवहन और समाज को बदल दिया। कारखानों की स्थापना हुई और मजदूर वर्ग का विकास हुआ।
बिंदु
- मशीनों से उत्पादन
- कारखाना प्रणाली
- व्यापार और परिवहन का विकास
- मजदूर वर्ग की उत्पत्ति
भारत पर ब्रिटिश शासन का प्रभाव
ब्रिटिश शासन ने भारत की अर्थव्यवस्था, समाज, शिक्षा और संस्कृति को प्रभावित किया। औद्योगीकरण के कारण भारतीय उद्योग कमज़ोर हुए और व्यापार ब्रिटेन के नियंत्रण में आ गया। सामाजिक कुरीतियों के सुधार और शिक्षा के प्रसार से नए जागरण की शुरुआत हुई।
बिंदु
- भारतीय उद्योग का पतन
- प्रशासनिक और कानूनी परिवर्तन
- पश्चिमी शिक्षा और सामाजिक सुधार
- परिवहन और संचार का विकास
भारतीय समाज में धार्मिक–सामाजिक जागरण
औपनिवेशिक काल में समाज में कुरीतियों, अंधविश्वास, जाति–व्यवस्था और असमानता के खिलाफ सुधार आंदोलनों ने जन्म लिया। इन सुधारकों ने शिक्षा, समानता, महिला अधिकार और धार्मिक जागृति के लिए काम किया।
बिंदु
- जातिवाद और कुरीतियों के विरोध
- शिक्षा और समानता का प्रसार
- महिला सुधार और जागरूकता
- धार्मिक सहिष्णुता का विकास
भारत का राष्ट्रीय आंदोलन
भारत ने स्वतंत्रता के लिए जन–आंदोलनों, संघर्ष, अहिंसा, सत्याग्रह और बलिदानों के द्वारा आज़ादी प्राप्त की। विभिन्न आंदोलनों और नेताओं ने जनता को संगठित किया और राष्ट्रीय एकता को मजबूत किया।
बिंदु
- असहयोग और सत्याग्रह
- दांडी मार्च और भारत छोड़ो आंदोलन
- राष्ट्रीय एकता और जन–सहभागिता
- स्वतंत्रता की मांग और संघर्ष
भारत का भौतिक स्वरूप
भारत का प्राकृतिक स्वरूप पर्वत, मैदान, पठार और तटीय क्षेत्रों का मिश्रण है। हिमालय उत्तरी सीमा की रक्षा करता है, गंगा का मैदान खेती उपयुक्त बनाता है, और प्रायद्वीपीय पठार खनिजों से भरपूर है।
बिंदु
- हिमालय: सुरक्षा और जल स्रोत
- उत्तरी मैदान: उपजाऊ भूमि
- प्रायद्वीपीय पठार: खनिज संपदा
- तटीय क्षेत्र और द्वीप
भारत की जलवायु
भारत की जलवायु मुख्य रूप से मानसून पर आधारित है। दक्षिण–पश्चिम मानसून वर्षा लाता है और कृषि इससे प्रभावित होती है। जलवायु विविधता के कारण विभिन्न फसलें और प्राकृतिक जीवन संभव होता है।
बिंदु
- मानसून का प्रभाव
- वर्षा में विविधता
- कृषि और जीवन पर प्रभाव
- जलवायु के अनुसार फसलें
भारत के वन और जैव विविधता
भारत में विविध जैव विविधता पाई जाती है, जिसमें वनस्पति, वन, वन्य जीव, पक्षी और समुद्री जीव शामिल हैं। इनके संरक्षण से पर्यावरण और पारिस्थितिक संतुलन बना रहता है।
बिंदु
- जैव विविधता का महत्व
- वन संरक्षण
- वन्यजीव सुरक्षा
- पर्यावरण संतुलन
भारतीय कृषि
कृषि भारत की अर्थव्यवस्था का आधार है। मानसून, सिंचाई, मिट्टी और फसल पैटर्न कृषि को प्रभावित करते हैं। मुख्य फसलें चावल, गेहूं, जूट, कपास, चाय और गन्ना हैं।
बिंदु
- मानसून और सिंचाई पर निर्भरता
- खाद्य और नगदी फसलें
- मिट्टी और जलवायु का प्रभाव
- ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार
परिवहन और संचार
परिवहन और संचार देश को जोड़ते हैं और विकास को गति देते हैं। सड़क, रेल, जलमार्ग और वायु मार्ग व्यापार, उद्योग, कृषि और सेवा क्षेत्रों को मजबूत करते हैं।
बिंदु
- सड़क और रेल परिवहन
- जल और वायु मार्ग
- संचार के आधुनिक साधन
- आर्थिक विकास में योगदान
जनसंख्या और मानव संसाधन
भारत की जनसंख्या एक बड़ी शक्ति है। यदि शिक्षित और प्रशिक्षित हो, तो यह आर्थिक विकास में योगदान देती है। जनसंख्या का अध्ययन जनगणना के माध्यम से किया जाता है।
बिंदु
- जनसंख्या संसाधन के रूप में
- साक्षरता और स्वास्थ्य का महत्व
- जनगणना द्वारा जानकारी
- जनसंख्या और विकास संबंध
संविधान और लोकतांत्रिक मूल्य
भारत का संविधान नागरिकों को अधिकार और कर्तव्य देता है तथा लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करता है। यह समानता, स्वतंत्रता, न्याय और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों पर आधारित है।
बिंदु
- संविधान सर्वोच्च कानून
- अधिकार और कर्तव्य
- लोकतंत्र की बुनियाद
- समानता और न्याय
मौलिक अधिकार और कर्तव्य
अधिकार नागरिकों की स्वतंत्रता सुनिश्चित करते हैं और कर्तव्य समाज और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी बताते हैं। दोनों एक दूसरे पर निर्भर हैं और लोकतंत्र को स्थिर बनाते हैं।
बिंदु
- अधिकार: स्वतंत्रता और सुरक्षा
- कर्तव्य: समाज और राष्ट्र की सेवा
- अधिकार–कर्तव्य का संतुलन
- नागरिक जिम्मेदारी
भारत एक कल्याणकारी राज्य
भारत सामाजिक न्याय, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सुरक्षा के लिए योजनाएँ बनाता है। सरकार का उद्देश्य सभी नागरिकों की भलाई और समान अवसर प्रदान करना है।
बिंदु
- सामाजिक न्याय
- आर्थिक और शैक्षिक योजनाएँ
- महिला–बाल विकास
- समान अवसर और सुरक्षा
स्थानीय, राज्य और केंद्र सरकार
भारत में लोकतंत्र तीन स्तरों पर कार्य करता है — स्थानीय, राज्य और केंद्र। स्थानीय स्तर पर पंचायत और नगर पालिका, राज्य स्तर पर मुख्यमंत्री और विधानसभा, केंद्र में प्रधानमंत्री और संसद शासन करते हैं।
बिंदु
- पंचायत और नगर निकाय
- राज्यपाल और मुख्यमंत्री
- संसद और प्रधानमंत्री
- लोकतांत्रिक प्रशासन
राजनीतिक दल और लोकतांत्रिक भागीदारी
लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजनीतिक दल सरकार बनाने और नीतियाँ तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। नागरिक मतदान और भागीदारी से लोकतंत्र मजबूत होता है।
बिंदु
- राजनीतिक दलों की भूमिका
- नागरिक भागीदारी
- मतदान का महत्व
- लोकतंत्र की मजबूती
पर्यावरणीय समस्याएँ और आपदा प्रबंधन
प्रदूषण, वन विनाश, जल–संकट और जलवायु परिवर्तन पर्यावरण को खतरा पहुँचाते हैं। आपदा प्रबंधन, पुनर्वास, संरक्षण और सतत विकास इन चुनौतियों का समाधान हैं।
बिंदु
- प्रदूषण और जलवायु संकट
- प्राकृतिक आपदाएँ
- रोकथाम और सुरक्षा
- सतत विकास और संरक्षण
राष्ट्रीय एकता और शांति
राष्ट्रीय एकता विविधताओं को साथ लेकर चलने की प्रक्रिया है। धर्मनिरपेक्षता, सहिष्णुता, समानता और सामाजिक समरसता शांति और सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं।
बिंदु
- विविधता में एकता
- धर्मनिरपेक्षता और समानता
- सामाजिक समरसता
- शांति और सुरक्षा
Exam Focus Topics
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इतिहास
1. पुनर्जागरण
यूरोप में 14वीं से 16वीं शताब्दी के बीच सामाजिक, सांस्कृतिक और बौद्धिक परिवर्तन का एक काल आया जिसे पुनर्जागरण कहा जाता है। इस अवधि में लोगों ने धार्मिक अंधविश्वासों से मुक्त होकर तर्क, विज्ञान, कला, साहित्य और स्वतंत्र विचारों को महत्व देना शुरू किया। इसने यूरोप को मध्ययुगीन अंधकार से निकालकर आधुनिक युग की ओर अग्रसर किया। कला, वास्तुकला, विज्ञान और मानव–केन्द्रित दर्शन के विकास ने आधुनिक दुनिया की नींव रखी।
मुख्य बिंदु
- वैज्ञानिक और तर्कपरक सोच का विकास
- साहित्य, कला एवं वास्तुकला का पुनर्सृजन
- धार्मिक कट्टरता का विरोध और स्वतंत्र चिंतन
- भौगोलिक खोजें तथा नए व्यापार मार्गों की खोज
- मानववाद (Humanism) का विकास — मनुष्य सर्वोच्च मूल्य
प्रमुख व्यक्तित्व
- लियोनार्डो दा विंची – कलाकार एवं वैज्ञानिक
- माइकल एंजेलो – मूर्तिकला और चित्रकला के उस्ताद
- गैलीलियो – खगोलशास्त्र में क्रांतिकारी सिद्धांत
- मैकियावेली – आधुनिक राजनीति विज्ञान के प्रवर्तक
2. सुधार आंदोलन
16वीं शताब्दी में यूरोप में एक ऐसा आंदोलन चला जिसने धार्मिक भ्रष्टाचार, धार्मिक अधिकारों के दुरुपयोग और चर्च की निरंकुशता का विरोध किया। इस आंदोलन को सुधार आंदोलन कहा गया। इसमें लोगों ने धार्मिक स्वतंत्रता, सरल पूजा पद्धति और धार्मिक ग्रंथों की सच्ची व्याख्या पर जोर दिया। इस आंदोलन ने यूरोप को धार्मिक उदारवाद और सहिष्णुता की ओर अग्रसर किया।
कारण
- चर्च द्वारा शक्ति और धन का दुरुपयोग
- क्षमा–पत्रों की बिक्री की भ्रष्ट परंपरा
- धार्मिक करों का बोझ
- धार्मिक ज्ञान पर चर्च का एकाधिकार
परिणाम
- प्रोटेस्टेंट धर्म का उदय
- धार्मिक सहिष्णुता और स्वतंत्रता में वृद्धि
- चर्च की शक्ति में कमी
- धर्म–राजनीति संबंधों में परिवर्तन
3. औद्योगिक क्रांति
18वीं शताब्दी में इंग्लैंड में मशीनों के प्रयोग से उत्पादन क्षमता में अत्यधिक वृद्धि हुई। यह परिवर्तन केवल वैज्ञानिक उन्नति ही नहीं बल्कि सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संरचना को भी प्रभावित करने वाला व्यापक परिवर्तन था। इस क्रांति ने कृषि–प्रधान समाज को औद्योगिक समाज में बदल दिया, जिससे शहरों का विकास हुआ और व्यापार नई ऊँचाइयों पर पहुँच गया।
विशेषताएँ
- मशीनों का उपयोग और कारखाना व्यवस्था
- उत्पादन और व्यापार में अभूतपूर्व वृद्धि
- रेलवे, जहाज और संचार साधनों का विकास
- ग्रामीण से शहरी जीवन की ओर प्रवास
- मजदूर वर्ग का उदय और श्रम संबंधी समस्याएँ
प्रमुख आविष्कार
- भाप इंजन — जेम्स वाट
- स्पिनिंग जेनी — हरग्रिव्स
- पावर लूम — कार्टराइट
4. भारत में मुगलों का आगमन और प्रभाव
मुगलों का आगमन भारतीय इतिहास में राजनीतिक स्थिरता और सांस्कृतिक समृद्धि लेकर आया। मुगल शासकों ने एक मजबूत प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित की, जिसमें न्याय, कर, सैन्य और प्रांतीय शासन की संगठित प्रणाली थी। मुगलों के शासनकाल में कला, वास्तुकला, साहित्य और व्यापार का विस्तार तेजी से हुआ। धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक समन्वय उनके शासन की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता थी।
प्रभाव
- केंद्रीकृत प्रशासनिक व्यवस्था की स्थापना
- कला और वास्तुकला का उत्कर्ष (ताजमहल, लालकिला आदि)
- व्यापार और शिल्पकला का विकास
- धार्मिक सद्भाव और सांस्कृतिक एकता का विस्तार
5. ब्रिटिश शासन और भारतीय वस्त्र उद्योग
ब्रिटिश शासनकाल में औद्योगिक राष्ट्र बनने के बाद ब्रिटिश मशीनों से निर्मित वस्त्र भारत में आयात किए गए। यह वस्त्र सस्ते थे जिससे भारतीय हाथकरघा उद्योग को सीधी हानि हुई। हजारों बुनकर बेरोजगार हो गए, कच्चे माल की आपूर्ति ब्रिटेन को होने लगी और भारत केवल बाज़ार तथा कच्चा माल देने वाला देश बनकर रह गया।
परिणाम
- हाथकरघा और सूत उद्योग का पतन
- बुनकर और कारीगरों की आजीविका समाप्त
- भारतीय अर्थव्यवस्था ब्रिटिश उद्योग पर निर्भर
भूगोल
1. मानसून
मानसून भारत के जलवायु तंत्र का आधार है। समुद्र और स्थल के तापमान अंतर के कारण मौसमी पवनें बदलती रहती हैं, जिन्हें मानसून कहा जाता है। भारत की कृषि, जलस्रोत, पेयजल, बिजली उत्पादन और फसल चक्र मानसून पर निर्भर हैं। यदि समय पर वर्षा न हो तो अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है।
प्रकार
- दक्षिण–पश्चिम मानसून — प्रचुर वर्षा का कारण
- उत्तर–पूर्व मानसून — कम वर्षा, कुछ राज्यों में उपयोगी
2. भारत की नदियाँ
भारत की नदियाँ देश की जीवन रेखा हैं। ये न केवल कृषि बल्कि उद्योग, परिवहन, बिजली उत्पादन और धार्मिक–सांस्कृतिक गतिविधियों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। हिमालयी नदियाँ सदानीरा होती हैं, जबकि प्रायद्वीपीय नदियाँ वर्षा पर निर्भर होती हैं।
महत्वपूर्ण नदियाँ
- गंगा: बंगाल की खाड़ी में मिलती है
- ब्रह्मपुत्र: अत्यधिक प्रवाह वाली नदी
- नर्मदा और ताप्ती: अरब सागर में मिलती हैं
- कावेरी: दक्षिण भारत की महत्वपूर्ण नदी
3. पर्वत और पठार
भारत में पर्वतीय भाग जैवविविधता, जलवायु, नदी–तंत्र और प्राकृतिक संसाधनों के केंद्र हैं। पश्चिमी घाट और पूर्वी घाट दक्षिण भारत के दो महत्वपूर्ण पर्वतीय तंत्र हैं।
पश्चिमी घाट
- ऊँचाई अधिक, ढाल तीखी
- घने वन, जैविक विविधता
- अरब सागर के समानांतर विस्तृत
छोटा नागपुर पठार
- झारखंड में स्थित
- खनिज संपदा (लोहा, कोयला, बॉक्साइट) से समृद्ध
नागरिक शास्त्र
1. मौलिक अधिकार और कर्तव्य
मौलिक अधिकार नागरिकों की स्वतंत्रता और सम्मान सुनिश्चित करते हैं, जबकि मौलिक कर्तव्य राष्ट्र और समाज के प्रति जिम्मेदारी बताते हैं। अधिकार और कर्तव्य एक दूसरे पर निर्भर हैं। अधिकार यदि स्वतंत्रता देते हैं, तो कर्तव्य व्यवस्था और न्याय बनाए रखते हैं।
संबंध
- अधिकार का संरक्षण कर्तव्य पालन से संभव
- कर्तव्य के बिना अधिकार अव्यवस्थित
- संविधान दोनों को संतुलित करता है
2. शासन का ढांचा
राज्यपाल
राज्य का संवैधानिक प्रमुख राज्यपाल होता है। वह राज्य में सरकार के कार्यों की निगरानी करता है तथा कुछ नियुक्तियाँ और सिफारिशें करने का अधिकार रखता है।
प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री भारत की कार्यपालिका का प्रमुख होता है। वह मंत्रिपरिषद का नेतृत्व करता है, नीतियों, अंतरराष्ट्रीय संबंधों और विकास योजनाओं का संचालन करता है।
सुप्रीम कोर्ट
सर्वोच्च न्यायालय न्याय व्यवस्था का सर्वोच्च प्राधिकरण है। यह संविधान की रक्षा करता है, नागरिक अधिकारों की सुरक्षा करता है और संघ–राज्य विवादों का निपटारा करता है।
अर्थशास्त्र
1. आर्थिक विकास
आर्थिक विकास केवल आय वृद्धि नहीं बल्कि जीवन स्तर में सुधार है। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, आय और संसाधनों का समान वितरण शामिल है।
आधार
- उत्पादन में वृद्धि
- मानव विकास (शिक्षा और स्वास्थ्य)
- आय वृद्धि और समानता
2. जनगणना और मानव विकास
जनगणना देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिति का महत्वपूर्ण दस्तावेज है। 2011 जनगणना के आधार पर भारत की साक्षरता, लिंगानुपात और जनसंख्या संबंधी आँकड़े विकास नीतियाँ बनाने में मदद करते हैं।
मुख्य तथ्य
- साक्षरता सामाजिक विकास की नींव
- लिंगानुपात सामाजिक संतुलन का प्रतिबिम्ब
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