भ्रष्टाचार- एक समस्या

भ्रष्टाचार का आशय है कि गलत आचरण। आज समाज में जिस और भी नजर डालिए हर तरफ भ्रष्टाचार ही नजर आएगा।आज ऐसा कौन सा क्षेत्र है जहां उसने अभी तक प्रवेश ना किया हो। जीवन के लगभग हर क्षेत्र को इस में अनिवार्य रूप से प्रभावित किया है। कार्यालय में अटकी आपकी फाइल रफ्तार से दौड़ने लगेगी बस जरूरत है अपनी जेब से निकालकर उसमें पहिए लगाने की। आप परेशान है कि आपका एडमिशन कुछ अंकों की कमी से नहीं हो रहा है तो बस थोड़ी सी सहयोग राशि या डोनेशन दिलवा दीजिए बस समझ लीजिए कि आपको प्रवेश मिल गया। इसी कारण से अयोग्य भी योग्य बनकर कुर्सी प्राप्त कर लेता है और योग्य बेचारा आदर्शवादी होने की वज़ह से परेशानियां झेलता है ।

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भ्रष्टाचार- एक समस्या

निसंदेह जिस समाज में ऐसा होने लगता है उसकी व्यवस्था चरमरा जाती है। वर्तमान भारत में भ्रष्टाचार का बोलबाला है।राजनीति में बोफोर्स घोटाला, चीनी घोटाला प्रतिभूति घोटाला चारा घोटाला हो या हवाला कांड सभी यह सिद्ध करने के लिए काफी है कि हमने अपने आदर्शों को पोटली में बांधकर टाँड़ पर फेंक दिया है और प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से भ्रष्टाचार को ही अपना आदर्श मान बैठे हैं।आज राजनीति का अपराधीकरण हो या रिश्वत बाजी जाली नोटों का कारोबार हो या फर्जी डिग्री का व्यवसाय भाई भतीजावाद हो या क्षेत्रवाद सभी फलने फूलने का एकमात्र कारण भ्रष्टाचार ही है।

भ्रष्टाचार के दुष्प्रभाव

आज के व्यक्ति की सोच सिर्फ पैसे तक सिमट कर रह गई है। उसने सोच लिया है कि उसका भगवान उसका ईमान सब कुछ पैसा है उस की ऐसी सोच ने उसे गलत रास्ते पर चलने के लिए लाचार कर दिया तथा वह भूल गया कि इस रास्ते में चाहे उसे नोटों के बिस्तर पर सोने को मिले किंतु शांति-चैन जैसे शब्दों से उसका कोई वास्ता नहीं रहेगा।

भ्रष्टाचार को मिटाने का प्रयास

हमें समाज में फल‑फूल रही धन लोलुपता को रोकना होगा और इस बात का प्रचार प्रसार करना होगा कि पैसे और मानवता में मानवता ही अधिक श्रेष्ठ है। साथ ही साथ अमीर बनने के लिए शॉर्टकट के स्थान पर मेहनत करने की भावना विकसित करनी होगी। यदि हम ऐसा कर सके तो समय के साथ भ्रष्टाचार की लगातार फलती फूलती इस बेल को जड़ से उखाड़ कर फेंकने का हमारा सपना साकार हो सकेगा, अन्यथा नहीं।

अतः अपनी तथा अपने देश की खुशहाली के लिए हमें यह संकल्प करना चाहिए कि हम प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप में भ्रष्टाचार को इस देश से हटाने के लिए प्रयासरत रहेंगे तथा कोई भी ऐसा कार्य नहीं करेंगे जिससे भ्रष्टाचार चैन की बंसी बजाता रहे और हमारे देश की नींव तक हिल जाए। भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए हमें हर संभव प्रयास करना होगा जैसे आप जहां भी भ्रष्टाचार देखो वही भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाओ, अपने आसपास के लोगों को समझाओ कि भ्रष्टाचार हमारे जीवन को खोखला करता जा रहा है। भ्रष्टाचार के सहयोग से काम तो हो जाते हैं लेकिन जब इसके दुष्प्रभाव सामने आते हैं तो कोई भी मनुष्य खड़ा नहीं रह पाता। भ्रष्टाचार एक दीमक की तरह है जो मनुष्य को अंदर से खोखला कर देता है और मनुष्य अपना धर्म ईमान सब भूल कर अपने फायदे के बारे में सोचने लगता हैं। ऐसे लोगों को सिर्फ अपना फायदा ही नजर आता है चाहे उसके लिए गलत रास्ते पर ही क्यों ना चलना पड़े। ऐसे लोग सच और झूठ, सही और गलत का फर्क भूल जाते हैं।भ्रष्टाचार करने वाले लोगों को दंड मिलना चाहिए ताकि वह ऐसी गलती दोबारा ना करें। भ्रष्टाचारी किसी एक मनुष्य की परेशानी नहीं है यह हम सभी की परेशानी है तो इसको खत्म करने की जिम्मेदारी भी हमारी है।

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